वंदेमातरम् मित्रों ! आज एक 'मुक्तक' आपको सादर समर्पित कर रहा हूँ जिसे आज की सियासी परिप्रेक्ष्य में समझ सकते हैं ...............
जिनकी रही, अदावत उनसे |
करते रहे, बगावत उनसे |
देख रहा हूँ ,अब तो उनकी ,
चलती अच्छी, दावत उनसे |
जिनकी रही, अदावत उनसे |
करते रहे, बगावत उनसे |
देख रहा हूँ ,अब तो उनकी ,
चलती अच्छी, दावत उनसे |
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