वंदेमातरम् मित्रों ! देश आज एक मजबूत हाथ में है क्योंकि देश की करोड़ों जनता ने बहुत विश्वास के साथ देश की बागडोर इस हाथ में सौंपी है |अब इस मजबूत हाथ को देश की जनता के प्रति एक अहम जिम्मेदारी निभानी होगी | मैं इन्हीं मनोभाव से प्रेरित एक ताज़ा ग़ज़ल प्रस्तुत कर रहा हूँ आपका स्नेह प्रतिक्रिया स्वरुप सादर अपेक्षित है ...................
दिन हैं अच्छे, ये अहसास कराया जाए |
हर मुफलिस को, अब सीने से लगाया जाए |
दबे-कुचले औ शोषित, वंचितों की धरती पे ,
गिरे इस मुल्क को ,बच्चे- सा उठाया जाए |
ग़मों की आँच पे ,ज़ज्बात का मरहम रख के ,
दर्द के पाँव का, हर जख्म मिटाया जाए |
बीज इंसानियत की, इस धरा पे कायम हो ,
किसी भी हाल में ,बच्चों को बचाया जाए |
जो भी भटके हैं ,उन्हें प्यार की थपकियों से ,
धीरे-धीरे हीं सही, राह पे लाया जाए |
जाति-मजहब की, दीवारों को तोड़कर अब तो ,
प्रेम की नींव पर ,इक मुल्क बसाया जाए |
दिन हैं अच्छे, ये अहसास कराया जाए |
हर मुफलिस को, अब सीने से लगाया जाए |
दबे-कुचले औ शोषित, वंचितों की धरती पे ,
गिरे इस मुल्क को ,बच्चे- सा उठाया जाए |
ग़मों की आँच पे ,ज़ज्बात का मरहम रख के ,
दर्द के पाँव का, हर जख्म मिटाया जाए |
बीज इंसानियत की, इस धरा पे कायम हो ,
किसी भी हाल में ,बच्चों को बचाया जाए |
जो भी भटके हैं ,उन्हें प्यार की थपकियों से ,
धीरे-धीरे हीं सही, राह पे लाया जाए |
जाति-मजहब की, दीवारों को तोड़कर अब तो ,
प्रेम की नींव पर ,इक मुल्क बसाया जाए |
No comments:
Post a Comment