Wednesday, July 23, 2014

वंदेमातरम् मित्रों !आज सामयिक युगबोध से अनुभूत एक मुक्तक आपको समर्पित .......आपका स्नेह हमेशा की तरह सादर अपेक्षित ....................

फिर डर गया हूँ आज, उसका प्यार देखकर |
लूटा था जिसने मुझको, लाचार देखकर |
ऐसा मुझे लगा था ,,बख्शी है ख़
ुशी उसने ,
पर दुःख उसे था , मुझको खुशगवार देखकर |

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