Wednesday, July 23, 2014


वंदेमातरम् मित्रों ! आप सभी का अपार स्नेह सदा बना रहे और मैं अपनी साहित्य-साधना के माध्यम से आप सभी की सेवा करता रहूँ |आज सम-सामयिक परिस्थितियों पर एक ताजा गजल आपको समर्पित कर रहा हूँ ..................आपका स्नेह टिप्पणी रूप में अपेक्षित है .....

धूप मतलब की नूरानी हो गई |
अब सियासत बदजुबानी हो गई |

वासना के पृष्ठ पर लिखी हुई ,
एक गन्दी-सी कहानी हो गई |

इश्क ने सीमा मिटा दी उम्र की ,
हुश्न बूढ़े की दिवानी हो गई |

देश यो यो और मुन्नी में डुबा,
गौण अब झाँसी की रानी हो गई |

कब तलक खरगोश हारेगा यहाँ ,
ये कथा कितनी पुरानी हो गई |

जो पिता सोता नहीं है रातभर ,
समझ लो बिटिया सयानी हो गई |

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