Wednesday, July 23, 2014

वंदेमातरम् मित्रो !आज एक कुण्डलिया आपको समर्पित ..........आपका स्नेह सादर अपेक्षित 

लालू के कटु व्यंग्य पर ,करने को आघात |
ताल ठोककर आ गए ,बादल ले बरसात ||
बादल ले बरसात ,बुझा दी प्यास धरा की |
सूखे जन -मन का जीवन भी हरा-भरा की |

बादल बोले- हो रहे ,अच्छे दिन चालू |
करना नहीं मजाक, दुबारा हम से लालू ||

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