वंदेमातरम् मित्रो !आज एक कुण्डलिया आपको समर्पित ..........आपका स्नेह सादर अपेक्षित
लालू के कटु व्यंग्य पर ,करने को आघात |
ताल ठोककर आ गए ,बादल ले बरसात ||
बादल ले बरसात ,बुझा दी प्यास धरा की |
सूखे जन -मन का जीवन भी हरा-भरा की |
बादल बोले- हो रहे ,अच्छे दिन चालू |
करना नहीं मजाक, दुबारा हम से लालू ||
लालू के कटु व्यंग्य पर ,करने को आघात |
ताल ठोककर आ गए ,बादल ले बरसात ||
बादल ले बरसात ,बुझा दी प्यास धरा की |
सूखे जन -मन का जीवन भी हरा-भरा की |
बादल बोले- हो रहे ,अच्छे दिन चालू |
करना नहीं मजाक, दुबारा हम से लालू ||
No comments:
Post a Comment