Sunday, April 14, 2013

जो हैं सागर से गहरे ,कतरे -से दिखना चाहे हैं |
कुछ तो दीपक-सा जलकर हीं सूरज दिखना चाहे हैं |
कुछ तो गुटबंदी ,तुकबंदी ,औ जुगाड़ की ताकत से ,
दो से चार खिताबें लिखकर ,तुलसी दिखना चाहे हैं |

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