Monday, September 24, 2012


 फूल -सी बच्ची गर्भ की  ,कुचल रहे क्यों आज ?
क्यों  बेटे की चाह में ,दानव बना समाज ?

बेटी हीं हैं देवियाँ ,दुर्गा की अवतार |
यहीं करेंगी फिर यहाँ ,दनुजों का संहार |

तू भी माँ  की  बेटी थी ,मिला  तुझे सम्मान |
फिर अपनी हीं कोंख का ,क्यों करती अपमान 

मंदिर में देवी पूजै, बगुला भगत समाज |
बेटी के दुश्मन बने ,घर वाले हीं आज |

दानव से मानव बनो , हरो मनुज की पीर |
भ्रूण ह्त्या को बंद कर ,बहा प्रेम का नीर |

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