Saturday, September 1, 2012

सच बोलूं दिल मिले ना मिले ,मिलना एक बहाना आज |
मित्रता की बनी कसौटी, केवल हाथ मिलाना आज |

कौन निभाये, किसको फुर्सत ,तीव्र गति कि दुनिया में ,
रिश्तों के दर्पण में देखा ,अपनापन अनजाना आज |

वेश्या की मुस्कान लिए है ,संबंधों की डोर यहाँ ,
करवट बदली ,ग्राहक बदले ,धंधा वहीँ पुराना आज |

नैतिकता ,ईमान ,धर्म आहत हैं ,उनकी महफ़िल में ,
जाल फ़रेबी ,दंभ झूठ सब ,पहने सच का बाना आज |

द्रौपदी के चिर हरण में ,चले जानवर इन्सां बन ,
अस्मत कितनी चढ़ी दाँव पर ,गिनना और गिनाना आज |

कुहरे हीं कुहरे हैं फिर भी ,धुल के मेले चारो ओर,
इस मंज़र में राह दिखाए ,कविता और फ़साना आज |

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