Saturday, September 1, 2012

१ 
थका -सा मन
चाहता है विश्राम
पल दो पल|
2
गीला-गीला है 
पानी के दर्पण- सा 
जाने क्यों मन |

पढ़ना होगा
जीवन ,फिर उसे
गढ़ना होगा |

झूमे ये तन
ताक धिनाधिन धीं
नाचे है मन |

रूप- जाल में
वासना- जंजाल में
फँसा क्यूँ प्राणी ?

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