वंदे मातरम्!मित्रो!एक खुरदुरा युगबोध हाजिर है।
गन्दी नाली के कीड़ों को बाहर निकालकर कितना भी साबुन शैम्पू से नहा धुला दीजिये, कुछ देर बाद फिर वह उसी गंदी नाली में ही घुस जाते हैं।जैसे साँप को कितना भी दूध पिला दें, लेकिन जहर ही उगलेगा।आचरण से कृतघ्न लोग काम निकाल लेने के बाद असली रूप में आ जाते हैं।उनको कितना भी मुफ्त माल बाँट दो,वे तुम्हें नुकसान ही पहुँचायेंगे।इसलिए व्यावहारिक विज्ञान बताता है कि ऐसे कुटिल लोगों के साथ कठोर व्यवहार ही उचित मार्ग है।ये वो जोंक हैं जो आपसे चिपटेंगे तो आपका खून ही पियेंगे।ये वे छिपे भूखे भयंकर भेड़िया हैं जो मौका मिलते है पीछे से वार कर देते हैं।इनको समझाना,भैंस के आगे बीन बजाना है।
अगर आप अभी भी इनके बारे में भ्रम पाले हुए हैं तो आपका खुदा खैर करे।आँखें खोलो।जागो।समझो हक़ीक़त।वरना वो दिन दूर नहीं, जब तुम एक एक करके मार दिए जाओगे।गवाही देने वाला भी नहीं बचेगा।
सच यहीं है जिंदगी में जान लो।।
हैं बड़े खूंखार बातें मान लो।
मित्र बनकर नोंच डालेंगे तुम्हें,
भेड़ियों को ध्यान से पहचान लो।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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