राम राम मित्र लोगन के!एगो मुक्तक हाजिर बा।
करीं विश्वास चाहे मत करीं,पर साँच इहे बा, प्यार से ठोक के केतनन के हम अदमी बना दीहनी। हम अपना सहजता साहचर्य के कोमल कटारी से, केतने तलवार आ बंदूख के जख्मी बना दीहनी।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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