वन्दे मातरम्!मित्रो!वाराणसी प्रवास पर एक दोहा हाजिर है। स्नेह सादर अपेक्षित है।
काशी अस्सी घाट पर,करके प्रातः स्नान।। बाँट रहे हैं रिश्तों की,समधी द्वय मुस्कान।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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