Thursday, December 15, 2016

दो दोहे

वन्दे मातरम्!मित्रो!दो दोहे हाजिर हैं। स्नेह सादर अपेक्षित है।
                    1
जिसके दिल कालिख पुता,दूजे सोंच विवर्ण।
लोहा भरे दिमाग से,कैसे निकले स्वर्ण।
                    2
मन मुट्ठी में कीजिए,मिटा सोच से खोंट।
समझ बूझ रखिए कदम,नहीं लगेगी चोट।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

No comments:

Post a Comment