वंदे मातरम्!मित्रो!एक ताजा मुक्तक हाजिर है। टिप्पणी सादर अपेक्षित है।
कालाधनियों का मिमियाना,देख रहा है देश।
नेता नगरी का चिल्लाना,देख रहा है देश।
कमर तोड़ दी इक झटके में,देश लूटने वालों की,
बिना मिलिट्री,पुलिस थाना,देख रहा है देश।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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