वन्दे मातरम्!आज 26 नवंबर है और आज ही मेरे बाबूजी श्री अनिरुद्ध सिंह बकलोल जी का जन्मदिन है।आज वे शरीर से मेरे पास नहीं हैं ,किन्तु उनका आशीर्वाद हमेशा मेरे साथ रहता है और वे खुद मेरे अन्दर इस तरह रहते हैं कि मुझे कभी भी उनसे दूर होने का अहसास नहीं होता।चूँकि वे भोजपुरी और हिंदी के एक गंभीर कवि और साहित्यकार थे,इसलिए इस अवसर पर उनकी एक बहुत लोकप्रिय और भोजपुरी पत्रिका 'माटी के गमक' में छपी भोजपुरी रचना-
'मँहगी आ गरीबी' आपको समर्पित कर रहा हूँ।आप अगर संवेदनशील हैं तो ये रचना आपको जरुर झकझोरेगी।
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"मँहगी आ गरीबी"
(पति पत्नी के संवाद)
पति
खाली भइल रस के गगरी,
सगरी सुख चैन कहाँ ले पराइल।
मँहगी के चलल कुछ गर्म हवा,
रस सींचल स्वर्ण लता मुरझाइल।
केरा के पात सा गात तोहार,
अरु लाल कपोलन के अरुनाई।
नैनन के पुतरी उतरी छवि,
याद परे पहिली सुघराई।।
पत्नी
सब हास विलास के नाश भइल,
हियरा के हुलास हरल मँहगाई।
जवानी में ही बुढ़वा भइलs,
कि अभावे में बीति गइल तरुनाई।
धोतिया धरती ले छुआत चले,
केशिया लहरे सिर पै घुंघराले।
कतना गबरू रहलs पियवा,
जब याद परे त करेज में साले।।
पति
आगि लगे मँहगी के तोरा,
सब शान गुमान पराइल हेठा।
धनिया मोरी सुखि के सोंठ भइल,
लरिका दुबराई के भइल रहेठा।
चोली पेवन्द पुरान भइल,
सुनरी चुनरी तोर झांझर भइले।
टुटि गइल करिहाई अरे हरजाई,
तोरा मँहगाई के अइले।
माघ के जाड़ पहाड़ भइल,
कउड़ा कपड़ा बनि के तन ढापे।
फाटि गइल कथरी सगरी,
पछुआ सिसिआत करेज ले काँपे।
धान गेहूँ कर बात कवन,
सपनो नहि आवे चना मसूरी के,
गरीबी गरे के कवाछ भइल,
अब का हम कहीं मँहगी ससुरी के।
पत्नी
सुखल छाती के माँस छोरा,
छरिया छारियाकर नाहि चबईतें।
घीव घचोरे के ना कहिते,
महतारी माँस बकोटी ना खईतें।
जो जुरिते मकई थोरिका,
लरिका सतुआ सरपोटि अघइतें।
जो न जवान रहीत धियवा,
मँहगी जियवा के कचोटि ना जइते।
पति
एक करे मनवा हमरा,
भउरी भरवा भर पेट जे खइतीं।
रनिया के मोरा छछने जियरा,
कतहीं से ले आ पियरी पहिरइतीं।
दिन बड़ा मनहूस होला,
लरिका के पड़ोसिन ले झरियावे।
कंहवा से इ आई गइल ढीढ़रा,
इ त खाते में आवेला,दीठ गड़ावे।
रोज कहे छउंड़ी छोटकी,
हमरा हरियर ओढ़नी एगो चाहीं।
बाबूजी तू केतना बिसभोरी,
कहेल त रोज ले आवेल नाहीं।
दीन बना के हे दीन सखा!
कतना जग में उपहास करवल।
एकहू सरधा जे पूरा न सकीं,
तब काहे के बेटी के बाप बनवल।।
रचनाकार-
अनिरुद्ध सिंह 'बकलोल'
ग्राम+पोस्ट-आदमपुर
थाना-रघुनाथपुर
जिला-सिवान,बिहार।
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