Sunday, December 22, 2013

वंदेमातरम् मित्रों !आज एक मुक्तक आपको सादर समर्पित कर रहा हूँ ,अगर सही लगे तो आपका स्नेह पाना चाहूँगा...................


हर इंसां का अपना, इक अफसाना होता है |
अलग-अलग जीने का, ताना-बाना होता है |
केवल साँसों का चलना ,जीवन का अर्थ नहीं ,
जीने का ज़ज्बा ,धड़कन में लाना होता है |

डॉ मनोज कुमार सिंह

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