वंदेमातरम् मित्रों !आज एक ताजा ग़ज़ल कुछ सुझाव के रूप में ' AAP' को समर्पित ,जो अपने सिवा सभी को बेईमान समझती है ................
थोड़ी उपलब्धियाँ क्या मिल गईं हैं 'आप' को |
अहं में डूबकर ,दे दी चुनौती बाप को |
जहर क्यों उगलते हो ,आप गर इंसान हो ,
क्यों संन्यास पर ,मजबूर करते साँप को |
ज़रा अभ्यास कर लो तुम , सत्ता चलाने की ,
मिटाना है अगर इस देश से हर पाप को |
बहुत आसान है बेईमान गैरों को बता देना ,
कठिन सहना है पर ,सच्चाईयों के ताप को |
अगर लड़ना है तुमको ,लड़ ज़रा मैदान में आकर ,
दिखा देगी तुम्हें जनता ,तुम्हारी नाप को |
अभी तुमसे बड़े हम आज भी दिल्ली रियासत में ,
जश्न में भूल क्यों जाते ,कमल के छाप को |
डॉ मनोज कुमार सिंह
थोड़ी उपलब्धियाँ क्या मिल गईं हैं 'आप' को |
अहं में डूबकर ,दे दी चुनौती बाप को |
जहर क्यों उगलते हो ,आप गर इंसान हो ,
क्यों संन्यास पर ,मजबूर करते साँप को |
ज़रा अभ्यास कर लो तुम , सत्ता चलाने की ,
मिटाना है अगर इस देश से हर पाप को |
बहुत आसान है बेईमान गैरों को बता देना ,
कठिन सहना है पर ,सच्चाईयों के ताप को |
अगर लड़ना है तुमको ,लड़ ज़रा मैदान में आकर ,
दिखा देगी तुम्हें जनता ,तुम्हारी नाप को |
अभी तुमसे बड़े हम आज भी दिल्ली रियासत में ,
जश्न में भूल क्यों जाते ,कमल के छाप को |
डॉ मनोज कुमार सिंह
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