वन्देमातरम मित्रों !आज फिर एक ताज़ा ग़ज़ल आप सभी को समर्पित कर रहा हूँ ...............अच्छी लगे तो आपका स्नेह टिप्पणी के रूप में पाना चाहूँगा............
समय करवट बदलता किस कदर है |
खबर जो छापता था ,खुद खबर है |
सही इंसान की पहचान मुश्किल ,
भरोसे में भरा कितना जहर है |
बहर बस ढूढ़ते हैं वे ग़ज़ल में ,
दिलों के दर्द से जो बेखबर हैं |
जहाँ से हादसों का दौर आए ,
समझ लो आ गया कोई शहर है |
कोई लमहा ना यूँ बेकार जाए ,
वक्त इस जिंदगी का मुख़्तसर है |
पता ना मर्ज क्या है दिल में उनके ,
अभी भी हर दवा यूँ बेअसर है |
सितमगर था जो मेरी जिंदगी का ,
वहीँ अब न्याय का भी ताजवर है |
डॉ मनोज कुमार सिंह
समय करवट बदलता किस कदर है |
खबर जो छापता था ,खुद खबर है |
सही इंसान की पहचान मुश्किल ,
भरोसे में भरा कितना जहर है |
बहर बस ढूढ़ते हैं वे ग़ज़ल में ,
दिलों के दर्द से जो बेखबर हैं |
जहाँ से हादसों का दौर आए ,
समझ लो आ गया कोई शहर है |
कोई लमहा ना यूँ बेकार जाए ,
वक्त इस जिंदगी का मुख़्तसर है |
पता ना मर्ज क्या है दिल में उनके ,
अभी भी हर दवा यूँ बेअसर है |
सितमगर था जो मेरी जिंदगी का ,
वहीँ अब न्याय का भी ताजवर है |
डॉ मनोज कुमार सिंह
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