वन्दे मातरम मित्रों | आज एक सार्थक सवाल'' मुक्तक ''छंद में आपसे पूछ रहा हूँ ..........आशा है टिप्पणी रूप में आपका स्नेह प्राप्त होगा ...........
अवगुणों को गुण बताकर , जी रहा क्यों आदमी ?
अपने हाथों हीं जहर खुद ,पी रहा क्यों आदमी ?
कोरी चादर जिंदगी की, फाड़कर रोते हुए ,
दर्द के अहसास को फिर, सी रहा क्यों आदमी ?
डॉ मनोज कुमार सिंह
अवगुणों को गुण बताकर , जी रहा क्यों आदमी ?
अपने हाथों हीं जहर खुद ,पी रहा क्यों आदमी ?
कोरी चादर जिंदगी की, फाड़कर रोते हुए ,
दर्द के अहसास को फिर, सी रहा क्यों आदमी ?
डॉ मनोज कुमार सिंह
No comments:
Post a Comment