Thursday, November 28, 2013

वन्देमातरम मित्रों !आज एक ताज़ा ग़ज़ल आपको समर्पित कर रहा हूँ|अच्छी लगे तो आपका स्नेह टिप्पणी के रूप में पाना  चाहूँगा ......................

खबर के नाम पर मीडिया ,जहाँ बाज़ार हो जाए |
घोटालों में डूबी आकंठ, जब सरकार हो जाए |
वहाँ घुट -घुट के मरने के सिवा, अब रास्ता है क्या  ,
जहाँ आतंक ,हत्या ,जुर्म कारोबार हो जाए|
भगत ,आज़ाद, विस्मिल- सा, हमारे  भव्य भारत में 
धरा की कोंख से कोई, पुनः अवतार हो जाए| 
हो रहा मुल्क में षड़यंत्र, शेरों को मिटाने की ,
कि फिर  सत्तानशीं  इक बार रँगा  स्यार हो जाए |
विवादों को मिटाकर ,धर्म ,मजहब ,जाति का यारों ,
करो संवाद तो ये मुल्क, एकाकार हो जाए |
 नई तस्वीर अपने मुल्क की, गर चाहते हो तुम ,
नई सरकार चुनने के लिए, हुँकार हो जाए |

डॉ मनोज कुमार सिंह 

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