Monday, November 25, 2013

वन्दे मातरम मित्रों !आज आप सभी की सेवा में एक मुक्तक प्रस्तुत कर रहा हूँ ,आशा है आपकी टिप्पणी के रूप में मुझे स्नेह मिलेगा ,सादर ............

सुबह शाम मैं गजलें, नज्म,कता लिखता हूँ |
इसी बहाने अपना, सही पता लिखता हूँ |
सच लिखना है खता, अगर दुनिया में यारों ,
दिल के कागज पर मैं, रोज खता लिखता हूँ |

डॉ मनोज कुमार सिंह

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