जिंदगी खडी है कई रूप में कतार में |
चोट में ,दर्द में ,टीस में ,प्यार में |
बेटा है अफसर औ रौबदार इतना कि,
बाप भी करते हैं बात अदब से परिवार में |
रात के अँधेरे की सिसकियाँ बताती है |
लुट गई है कली कोई मौसम मनुहार में |
मित्र कहाँ मिलते है आज के जमाने में ,
कहाँ है मुहाब्बत वो मिले जो उधार में |
........................डॉ मनोज कुमार सिंह
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