Monday, February 11, 2013

भौतिकता को जीवन में, इस तरह उतारा जाता है ।
संस्कार की बात करे जो ,उसे नकारा जाता है ।

बेशर्मी के दौर में यारों ,बात अदब की क्या करना ,
नंगेपन की बात करे जो ,उसे सँवारा जाता है ।

आज सियासत की बस्ती में ,कुर्सी की हर थाली में ,
आम आदमी के सपनों को ,रोज डकारा जाता है \

जिस औरत को माँ ,बेटी औ देवी का सद रूप दिया ,
किस कारण से कोंख में उसको ,निशदिन मारा जाता है ।

प्रगतिशीलता ने डिस्को ,पब ,रेव पार्टियाँ जब से दीं ,
रंगरलियों में भद्रजनों का समय गुजारा जाता है ।

रिश्तों को अब नोंच -नोंच कर खाने का है आम चलन ,
विश्वासों का सरल सिपाही ,अक्सर मारा जाता है ।

नैतिकता ,ईमान ,त्याग ,तहज़ीब कलम की ताकत से ,
है गवाह इतिहास यहाँ ,हर दौर सुधारा जाता है ।
..........................................डॉ मनोज कुमार सिंह

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