Saturday, June 25, 2016

गजल

वन्दे मातरम्!मित्रो!आज एक ताजा गजल हाजिर है। अगर अच्छी लगे तो अपनी टिप्पणी अवश्य दीजिये।

                    #गजल#

हो कोई रास्ता बेहतर,तो निकालो यारों।
छिपा दिल में कोई निर्झर,तो निकालो यारों।

ये भी कोई जिंदगी है,गमजदा होके जीना,
कभी हँसने का भी अवसर,तो निकालो यारों।

मुख़्तसर जिंदगी में,हो सको हल्का कुछ तो,
शिराओं में घुले कुछ जहर,तो निकालो यारों।

नदी हो या समंदर,खेत तक आते नहीं हैं,
अपनी कोशिश से इक नहर,तो निकालो यारों।

सहमा सहमा हुआ मंजर है,सारी बस्ती का,
जाके हर शख्स का कुछ डर,तो निकालो यारों।

गाँव मिट्टी के जबसे,पत्थरों में ढलने लगे,
उसमें खोया हमारा घर,तो निकालो यारों।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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