Wednesday, June 22, 2016

मुक्तक

वन्दे मातरम्!मित्रो! आज एक मुक्तक हाजिर है। स्नेह सादर अपेक्षित है।

आईने में दम नहीं कि चित्र के सिवा,
इंसान के चरित्र का,जो आकलन करे।
बस त्याग,मुहब्बत ही,असली है तराजू,
जीवन में सही मित्र का,जो आकलन करे।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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