सगरी मित्र लोगन के राम राम! आज एगो अपना बाबूजी के भोजपुरी गीत रंउवा सब के समर्पित करत बानी। कुछ गीत हमेशा प्रासंगिक रहेलें। जइसे इहे गीत। उहाँ के अपना पोता खातिर लिखले रहनी,आज हमरो पोता पर सटीक बइठत बा। एह रचना पर रउवा सभके प्रतिक्रिया सादर अपेक्षित बा।
डॉ मनोज कुमार सिंह
चान सरीखा फूल का अइसन,बाबू हामार आल्हर।
आव बहू! बबुआ के दे द तनी काजर।।
1
ममता में भींजल तहार माई गुण आगर।
मिसि के अबटि के,बिछा देली चादर।
पलना सुता के कभी,निदिया बोलावेली।
चुटकी बजाके कुछु,मीठे मीठे गावेली।
कभी मुसुकाल,कभी ओठ बिजुकावेलs।
सुतला में सुसुकी के,माई के डेरावेलs।
कबो थोड़ा ताकि लेल,क के आँख फाँफर।
आव बहू...
2
आईल होइहें सपना में,लगे तहार नानी।
हँसिके सुनावत होईहें,तहके कहानी।
मोरवन के नाच के,देखावत होइहें नाना।
या कहीं सुनात होई,परियन के गाना।
तबे नू सुतलका में,खूबे मुसुकालs।
छनहीं में चिहुकेलs,छने में डेरालs,
सपना में शायद डेरवावत होई बानर।
आव बहू.......
3
दियवा के टेम्हिया पर,आँख गड़कावेल।
'आँऊ माँऊ'कईके कभी, माई के रिझावेल।
छनहीं में हँसि देल, छने छरियालs।
रोवेल तू काहें अइसे,केकरा से डेरालs।
तनिको बुझात नइखे,ईया के बुढ़ापा।
चुप रह बाबू काल्हु,अईहें तहार पापा।
केतना मोटा गईले,बाबा तोहार पातर।
आव बहू....
4
रोवनी, छरियइनी हमरा,बाबू लगे आवेना।
केहू हमरा बबुआ के,नजर लगावेना।
सुतल बाड़ें बाबू चुप ....शान से बातावेली।
कजरा के टीका के,लिलार पर लगावेली।
साटि के करेजवा,ओढ़वले बाड़ी आँचर।
आव बहू.......
5
बाबा ग्यानी पंडित हउवन ,ईया घर घूमनी।
नाना जी पंवरिया हउवन ,नानी हउवी चटनी।
चम् चम् चान सरीखा चमके नानी जी के बिंदिया।
भरल बजारे नाचत फिरस,नाना जी के दिदिया।
नायलोन के गंजी कच्छी टेरीकाटन जामा।
सोन चिरैया ले के अइहे बबुआ तोहार मामा।
बाबा जोतस दियरा दांदर, नाना चँवरा चाचर।
आव बहू............
रचना-अनिरुद्ध सिंह'बकलोल'
रचना तिथि-10/05/1985
ग्राम+पोस्ट-आदमपुर
थाना-रघुनाथपुर
जिला-सिवान,(बिहार)
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