वन्दे मातरम्!मित्रो!आज का मुक्तक आपको कुछ तरह समर्पित कर रहा हूँ कि -
बिना बोले ही चेहरे,बहुत कुछ यूँ बोल देते हैं।
ये बनकर आईना दिल की,भी गाँठें खोल देते हैं।
जो रखते हैं लबों पे मुस्कराहट, जिंदगी भर यूँ,
वो खुद में छोड़िए ,गैरों में मिसरी घोल देते हैं।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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