मित्रो!एक कुण्डलिया समसामयिक सियासत पर!
राम कृष्ण के देश में,मन में ले अवसाद।
ढूढ़ रहे वामी यहाँ,महिषासुर दामाद।।
महिषासुर दामाद,मिला है आज कन्हैया।
हिजड़े जैसा नाच नाचता ता ता थैया।
जूते से अब होता उसका स्वागत आम।
देशद्रोह को माफ़ नहीं करते हैं राम।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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