वन्दे भारतमातरम्!मित्रो!आज एक समसामयिक मुक्तक पुनः आपको समर्पित कर रहा हूँ। स्नेह अपेक्षित है।
देता है रोज-रोज, पकिस्तान दोस्तों।
दिल पर हमारे जख्म का, निशान दोस्तों।
आयेगा दिन वो कब तक,उसकी जमीन को,
फिर कह सकें ,है मेरा हिन्दुस्तान दोस्तों।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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