Sunday, October 11, 2015

मुक्तक

वन्दे भारतमातरम्!मित्रो! आज पुनः एक नया मुक्तक आप सभी को समर्पित कर रहा हूँ। आपका स्नेह सादर अपेक्षित है।

कोई गर मौत बनकर आ गया तो,
रहेगा कौन फिर हमदर्द बनकर।
मगर हो सामने कोई शिखंडी,
कोई कैसे लड़ेगा मर्द बनकर।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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