राम राम सगरी मित्र लोगन के!आईं सभे चिंतन मनन कइल जाव ओह विषय पर जवना चिझु के आदमी जिनगी भर बचा के राखे के चाहेला आ जवना के हमनी के कहेनी सन 'चरित्र'।जिनगी में एह तत्त्व के समाप्त हो गईला के बाद धन,सत्ता,स्वास्थ अउरी विद्वत्ता के कवनो महत्त्व ना रहि जाला। चरित्र के हिमोग्लोबिन से हीं शक्ति मिलेला आ एही शक्ति से आदमी जिनगी में सफल भी बनेला। इहे शक्तिया आदमी के आत्मविश्वास,आत्मनिर्भरता अउरी शौर्य तेजस्विता के असली महतारी हीय। एकरे बल पर आदमी बिना डेरइले सगरी काम करि देला। एह शक्ति से उपजल आदमी आतंक, भय आदि से ना घबराला ,काहे कि एह शक्ति के आगे दुश्मन के बनैला शक्ति भी झुक जाले। अपना देश में महात्मा गांधी होखस भा महात्मा बुद्ध चाहे दयानंद सरस्वती या विवेकानंद,एह लोगन के चरित्र के सामने एह लोगन के विरोधी भी झुक गइलन,हार गइलन। चरित्र के बिना अदिमिये ना राष्ट्र भी मटियामेट हो जाला। एही से हर आदमी के आपन चरित्र ऊँचा बना के राखे के चाहीं ,काहे कि चरित्रवान आदमी के कारण हीं समाज अउरी राष्ट्र के चरित्र बनेला।दुर्भाग्य के बात बा कि अधिकतर बुद्धिजीवी चरित्र निर्माण के बजाय छद्म रूप से धन कामाये में लागन बाड़ें।चरित्र के अर्थ खाली कामपरक आचरण के पवित्रता से नईखे। बाकी राउर विचार आ मत आमंत्रित बा।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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