वन्दे भारतमातरम!मित्रो,एक मुक्तक आपको समर्पित करता हूँ........आपका स्नेह सादर अपेक्षित है.........
जुगनुओं की रौशनी में,कौन पढ़ता है भला।
औ पढ़े बिन जिन्दगी में ,कौन बढ़ता है भला।
बस झुकाना चाहते हो,खुद कभी झुकते नहीं,
पर्वतों पर बिन झुके यूँ,कौन चढ़ता है भला।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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