वन्दे भारतमातरम!आज अपने घर जा रहा हूँ। सफ़र में हूँ । आत्मावलोकन के लिए आपको चार पंक्तियाँ समर्पित हैं-
तंज़ खुद पे कसा कीजिए। जोर से फिर हँसा कीजिए। जिंदगी खुशनुमा बन सके अपना दिल आईना कीजिए।।
डॉ मनोज कुमार सिंह
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