वन्दे भारतमातरम !मित्रो,आज एक मुक्तक आप सभी के सम्मान में समर्पित कर रहा हूँ, सदैव की भाँति आप सबका प्यार सादर अपेक्षित है...
चरागे-रहगुज़र बनकर उजाला दीजिए।
मुहब्बत से भरा सबको पियाला दीजिए।
बहुत खुशियाँ मिलेंगी देखना जी आपको,
किसी भूखे को जीवन में निवाला दीजिए।
(चरागे-रहगुज़र-राह का दीपक)
डॉ मनोज कुमार सिंह
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