Tuesday, June 2, 2015

मुक्तक

वन्देमातरम मित्रो! मेरी चार पंक्तियाँ देश के नाम-
आपका स्नेह अपेक्षित है-........

हम पाँव अंगदी,नहीं कभी हिलने वाले।
हम दीप वहीं ,तूफानों में जलने वाले।
हे भारत माँ!हम रीति वहीँ रघुकुल की हैं,
हम गीत वहीं,प्रण-प्राणों में पलने वाले।

डॉ मनोज कुमार सिंह

No comments:

Post a Comment