वंदेमातरम् मित्रों !आज तीन दोहे आपको सादर समर्पित हैं .............आप सभी का स्नेह अपेक्षित है .......
धीरे-धीरे ही सही ,होता जो गतिमान |
इक दिन करता है वहीँ ,दीर्घ लक्ष्य संधान ||
जब भी होता आत्मवत् ,तन-मन से इंसान |
खुद में खुद को खोजकर ,पा लेता भगवान||
बिन पेंदी की हो गई ,नेताओं की बात |
राजनीति लगने लगी , झूठों की बरात ||
डॉ मनोज कुमार सिंह
धीरे-धीरे ही सही ,होता जो गतिमान |
इक दिन करता है वहीँ ,दीर्घ लक्ष्य संधान ||
जब भी होता आत्मवत् ,तन-मन से इंसान |
खुद में खुद को खोजकर ,पा लेता भगवान||
बिन पेंदी की हो गई ,नेताओं की बात |
राजनीति लगने लगी , झूठों की बरात ||
डॉ मनोज कुमार सिंह
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