वंदेमातरम् मित्रों! साहित्य, संगीत और कला की देवी वीणावादिनी,हंसवाहिनी माँ सरस्वती के जन्मदिन और सरस्वती पुत्र महाप्राण 'निराला'की जयंती के शुभ अवसर पर आप सभी को बसंत पंचमी की हार्दिक शुभकामनाएँ ..............इस अवसर पर मैं एक ताज़ा गज़ल इस आशय से समर्पित करना चाहता हूँ कि मनन से मानव बनता है और चिंतन से राष्ट्र ...........तो आइए चिंतन करें .............
बुरे इस वक्त की हर बात पर, चितन करें |
सियासी घात औ प्रतिघात पर, चिंतन करें |
सियासत है जहर, फ़रजंद को माँ ने बताया था ,
पैंसठ साल की हालात पर, चिंतन करें |
मच्छर कुर्सियों पर बैठकर, हाथी बने कैसे? ,
कहाँ से आ गई औकात पर, चिंतन करें |
अभी भी मुफलिसी, मुँह फाड़कर दर -दर पे बैठी है ,
दिया किसने ये सब सैगात पर, चिंतन करें |
जो नौटंकी है चालू आज ,भ्रष्टों को मिटाने की ,
चलो सत्ता की इस शाह-मात पर, चिंतन करें |
डॉ मनोज कुमार सिंह [ फ़रजंद -बेटा]
बुरे इस वक्त की हर बात पर, चितन करें |
सियासी घात औ प्रतिघात पर, चिंतन करें |
सियासत है जहर, फ़रजंद को माँ ने बताया था ,
पैंसठ साल की हालात पर, चिंतन करें |
मच्छर कुर्सियों पर बैठकर, हाथी बने कैसे? ,
कहाँ से आ गई औकात पर, चिंतन करें |
अभी भी मुफलिसी, मुँह फाड़कर दर -दर पे बैठी है ,
दिया किसने ये सब सैगात पर, चिंतन करें |
जो नौटंकी है चालू आज ,भ्रष्टों को मिटाने की ,
चलो सत्ता की इस शाह-मात पर, चिंतन करें |
डॉ मनोज कुमार सिंह [ फ़रजंद -बेटा]
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