वंदेमातरम् मित्रों !आज एक मुक्तक आपको सादर समर्पित कर रहा हूँ ,अगर सही लगे तो आपका स्नेह पाना चाहूँगा...................
हर इंसां का अपना, इक अफसाना होता है |
अलग-अलग जीने का, ताना-बाना होता है |
केवल साँसों का चलना ,जीवन का अर्थ नहीं ,
जीने का ज़ज्बा ,धड़कन में लाना होता है |
डॉ मनोज कुमार सिंह
हर इंसां का अपना, इक अफसाना होता है |
अलग-अलग जीने का, ताना-बाना होता है |
केवल साँसों का चलना ,जीवन का अर्थ नहीं ,
जीने का ज़ज्बा ,धड़कन में लाना होता है |
डॉ मनोज कुमार सिंह