चेतना की आग कैसे जिंदगी गरमाएगी |
नींद में चलते रहे तो सुबह कैसे आएगी |
मील का पत्थर ये साबित हो सकेगी जिंदगी ,
जब भी ये बेख़ौफ़ होकर मौत से टकराएगी |
वक्त का घोड़ा, लगामें संयमों की कस ज़रा ,
देखना दीवार भी एक रास्ता दे जाएगी |
फूल की खुश्बू क्षणिक है ,शब्द में खुश्बू रचो ,
शब्द की खुश्बू सदी तक हर दिशा महकाएगी |
आदमी के खेत में गर ,आदमी उगता रहा ,
है भरोसा इस धरा को ,हर ख़ुशी मिल जाएगी |
वक्त तो बलवान है ,उससे भी आगे की तू सोच ,
नहीं तो ये जिंदगी बेमौत हीं मर जाएगी |
......................... डॉ मनोज कुमार सिंह
नींद में चलते रहे तो सुबह कैसे आएगी |
मील का पत्थर ये साबित हो सकेगी जिंदगी ,
जब भी ये बेख़ौफ़ होकर मौत से टकराएगी |
वक्त का घोड़ा, लगामें संयमों की कस ज़रा ,
देखना दीवार भी एक रास्ता दे जाएगी |
फूल की खुश्बू क्षणिक है ,शब्द में खुश्बू रचो ,
शब्द की खुश्बू सदी तक हर दिशा महकाएगी |
आदमी के खेत में गर ,आदमी उगता रहा ,
है भरोसा इस धरा को ,हर ख़ुशी मिल जाएगी |
वक्त तो बलवान है ,उससे भी आगे की तू सोच ,
नहीं तो ये जिंदगी बेमौत हीं मर जाएगी |
......................... डॉ मनोज कुमार सिंह
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