जाति-लिंग में बाँट-बाँट कर ,आज अदीबों की दुनिया ,
कुंठाओं से ग्रस्त यहाँ कुछ ,अपनी फितरत लिखते हैं |
दलित ,दलित कुछ चिल्लाते हैं ,औरत,औरत चिल्लाती ,
इसी बहाने कुछ तो अपनी , दिल की नफरत लिखते हैं |
आज मुहब्बत खतरे में है, इंसानों के बीच यहाँ ,
उनको क्या चिंता जो केवल, दौलत ,शोहरत लिखते हैं |
माँ ,बेटी औ बहन रूप से, औरत जबसे मुक्त हुई ,
तब से प्रगति की प्यासी, अधरों की हसरत लिखते हैं |
सुनने को तैयार नहीं, कोई भी हम दीवानों की ,
जो जीवन के धड़कन की, इक सही जरुरत लिखते हैं |
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,, ,,,,,,,,डॉ मनोज कुमार सिंह
कुंठाओं से ग्रस्त यहाँ कुछ ,अपनी फितरत लिखते हैं |
दलित ,दलित कुछ चिल्लाते हैं ,औरत,औरत चिल्लाती ,
इसी बहाने कुछ तो अपनी , दिल की नफरत लिखते हैं |
आज मुहब्बत खतरे में है, इंसानों के बीच यहाँ ,
उनको क्या चिंता जो केवल, दौलत ,शोहरत लिखते हैं |
माँ ,बेटी औ बहन रूप से, औरत जबसे मुक्त हुई ,
तब से प्रगति की प्यासी, अधरों की हसरत लिखते हैं |
सुनने को तैयार नहीं, कोई भी हम दीवानों की ,
जो जीवन के धड़कन की, इक सही जरुरत लिखते हैं |
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