दाँत बीच जस जीभ रहे ,काँटों संग गुलाब |
तस कष्टों के बीच भी, रख सकते हम ख्वाब ||
कविता शब्द का ढेर है ,मान रहे कुछ लोग |
कविताओं के नाम पर ,अनुचित किये प्रयोग ||
कविता ,भाव की मूर्ति है , शब्द हैं उसके अंग |
अर्थ रंग में डूबकर ,होती है संपन्न ||
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