वे मुझे मिटाने की सोचते हैं |
मैं उन्हें बचाने की सोचता हूँ |
जब रोते हैं वे, अपनी नाकामयाबी पर ,
मैं उन्हें हँसाने की सोचता हूँ||
वे आये हैं, तो जाने का नाम नहीं लेते ,
उन्हें अपनी कविता, सुनाने की सोचता हूँ |
नागफनी से ,घिरा पडा है बागीचा मेरा ,
उसमें कुछ फूल, उगाने की सोचता हूँ|
बादशाह क्यों सोचे ,सिंहासन के सिवा ,
मैं तो अदना फकीर हूँ ,जमाने की सोचता हूँ |
आईनों को तोडना, उनका शगल है'' मनोज '',
उसे जोड़कर, उन्हें दिखाने की सोचता हूँ |
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