Tuesday, June 4, 2013

रूप तुम्हारा कितना बर्बर, तुझ पर मेरा थू थू थू |
सोच तुम्हारी कितनी बंजर, तुझ पर मेरा थू थू थू |


रे वहशी, नर अधम नक्सली, तेरी हीं भाषा में सुन ,
देश तुम्हारा देगा उत्तर ,तुझ पर मेरा थू थू थू |

तुम तो जारज संतानें हो ,देशद्रोह के मानक हो ,
लगते हो बस जंगली सूअर,तुझ पर मेरा थू थू थू |

राष्ट्रद्रोह की पृष्ठभूमि पर ,घात लगाकर केवल तुम ,
विश्वासों को भोंके खंजर ,तुझ पर मेरा थू थू थू |

भारत के उन वीर सपूतों को करता हूँ आज नमन,
बने मील के अद्भुत पत्थर , नक्सल तुझ पर थू थू थू |

वन्दे मातरम !,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,डॉ मनोज कुमार सिंह

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