हैं दिखने में कितने अच्छे
हैं दिखने में कितने अच्छे ,लगते देखो लोग यहाँ ।
कब डँस लेंगे नहीं पता , जहर भरे कुछ लोग यहाँ ।।
स्वार्थ सिद्धि की गलियारों में
शतरंजी चालें चलते,
रंग बदलते गिरगिट -से वे
बातों में चलते-चलते ,
काले दिल पर चुना करके , रहते हैं कुछ लोग यहाँ ।।
कब डँस ..........................................................
कौवे की भाषा है उनकी
पर कोयल सा बोल रहे ,
तोड़-फोड़ की राजनीती से ,
संशय का विष घोल रहे ,
ऊँच-नीच का भाव दिखाकर ,ठगते हैं कुछ लोग यहाँ ।।
कब डँस ................................................................
अपनापन की बातें करते
झूठे सपने दिखलाते
चाटुकारिता के पोषक वे
झूठ बड़प्पन दर्शाते ,
काली करतूतों से जिनके,त्रस्त सभी हैं लोग यहाँ ।।
कब डँस ................................................................
कीचड़ के कीड़े समझाते ,
संस्कार की बातें ,
गंदे मन की गलियारों में ,
बिताती जिनकी रातें,
विश्वासों पर घात लगाए, रहते हैं कुछ लोग यहाँ ।।
कब डँस ...........................................................
बड़े आदमी सा वे लगते
चिकने बड़े घड़े हैं ,
बैशाखी पर चलने वाले
सीधे तने खड़े हैं ,
आदमखोर , मसीहा बनकर , रहते हैं कुछ लोग यहाँ ।।
कब डँस .................................................................
सावधान ,ईमान के पुतलों ,
झुकना मत उनके आगे ,
जागो औ प्रतिकार करो अब ,
मत बैठो चुप्पी साधे ,
निष्ठा और ईमान की ह्त्या, करते हैं कुछ लोग यहाँ ।।
कब डँस लेंगे .......................................................।।