उस नज़र की क्या कहें जिसमें हया नहीं ।
उस हृदय की क्या कहें जिसमें दया नहीं ।
बेशर्मियों के दौर में बेदर्द-सा इंसान ,
बदला है बस ईमान औ कुछ भी नया नहीं ।
कण-कण में खुदा है हमें जबसे हुआ अहसास ,
मंदिर औ मस्जिदों में तब से गया नहीं ।
.........................डॉ मनोज कुमार सिंह —
उस हृदय की क्या कहें जिसमें दया नहीं ।
बेशर्मियों के दौर में बेदर्द-सा इंसान ,
बदला है बस ईमान औ कुछ भी नया नहीं ।
कण-कण में खुदा है हमें जबसे हुआ अहसास ,
मंदिर औ मस्जिदों में तब से गया नहीं ।
.........................डॉ मनोज कुमार सिंह —
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