कुछ थे जो बदतमीज़, अपनी हद में आ गए |
अपराध छोड़ कुछ तो, संसद में आ गए |
फिर भी ये देखो जनता उनकी मुरीद हैं,
भले हीं भ्रष्टतंत्र की वो ,ज़द में आ गए |
अपराध छोड़ कुछ तो, संसद में आ गए |
फिर भी ये देखो जनता उनकी मुरीद हैं,
भले हीं भ्रष्टतंत्र की वो ,ज़द में आ गए |
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