Saturday, October 20, 2012

मुहब्बत का इजहार जब से किया ,


दिल के रिश्ते यकीं में बदलने लगे |



तेरी नज़रों का जादू हीं था जानेमन ,


मायने जिंदगी के बदलने लगे | 


photo 



dohe manoj ke...........


गुरु कृपा देता हमें ,ज्ञान पुष्प का दान |
जब चरणों में शीश हो, मन में हो सम्मान || 


गुरु का आशीर्वाद हीं ,ईश्वर का वरदान |
बिन गुरु के संभव नहीं ,ईश्वर की पहचान ||


अथक परिश्रम सृजन से, मिलता सुन्दर अर्थ |
गुरुओं के सद्प्रेम से ,जीवन बने समर्थ ||


घोर तिमिर संसार में ,शिष्य 
जहाँ फँस जाय|
अज्ञानी गुमराह को ,गुरु हीं रह दिखाय||


गुरु-शिष्य की परम्परा ,पावन औ प्राचीन |
लेकिन अर्वाचीन में, बेबस और मलीन || 



काव्य की अभिव्यंजना में ,हर ख़ुशी, हर वेदना में ,


श्वास बनकर संचरित हो ,हृदय की संवेदना में |


अनिर्वचनीय औ अलौकिक प्रेम की, अनुभूतियों-सी 


धड़कते हो प्राण बनकर ,तुम हमारी चेतना में ||
कुछ थे जो बदतमीज़, अपनी हद में आ गए | 
अपराध छोड़ कुछ तो, संसद में आ गए | 
फिर भी ये देखो जनता उनकी मुरीद हैं, 
भले हीं भ्रष्टतंत्र की वो ,ज़द में आ गए | 
तुम्हारी दी चुनौती, रोज हम स्वीकार करते हैं|
तेरी मक्कारियों पे, उम्र भर ऐतबार करते हैं|

कहती मौत अक्सर ,जिंदगी से मुस्कुरा कर के ,
जो हम से दुश्मनी करते, उसे भी प्यार करते हैं||

जो दिल में हौसलों की नाव पे, चढ़ने का ज़ज्बा हो ,
नदी ,नाला ,बवंडर क्या, समंदर पार करते हैं|
जब भी खोईं प्यार की अनुभूतियाँ ,


जिंदगी संत्रास बन के रह गई |


जब भी खुदगर्जी समंदर-सी हुई ,

ज़िन्दगी एक प्यास बन के रह गई|
तू जब जख्म लिखता है ,तब मैं दवा लिखता हूँ |
तू जब दर्द लिखता है ,तब मैं दुआ लिखता हूँ |
तुम्हारी हर अदा से मैं सदा वाकिफ रहा हूँ दोस्त ,
तू जब क़ज़ा लिखता है ,तब मैं खुदा लिखता हूँ |
जब से सच को सुर्खियाँ मिलने लगीं |


झूठ की सब कुर्सियाँ हिलने लगीं |


जब भी हम ने उँगुलियाँ जिस ओर की ,


उस दिशा से धमकियाँ मिलने लगीं |




अँधेरों के दिल में , किरन बुन रहा हूँ |


किरन को लपेटे , तपन बुन रहा हूँ |


हमारा लहू पी, जो काबिल बने हैं ,


उन्हीं काबिलों का, कफ़न बुन रहा हूँ |