Thursday, March 30, 2017

मुक्तक

वन्दे मातरम्!मित्रो!आज फिर एक मुक्तक उन विलासिता और अश्लीलता परोसने वाले सनी लियोनि के भाइयों और बहनों को एक चुनौतीपूर्ण आमंत्रण के रूप में प्रस्तुत है।

आन बान पर मरने का,असली अवसर क्या होता है।
आ बतलाएँ मातृभूमि से, प्रेम अमर क्या होता है।
सुनो नचनियों!भारत के गौरव पृष्ठों को छेड़ा तो,
डाल अग्नि में समझायेंगे कि जौहर क्या होता है।।

पधारो म्हारो देश!#राजस्थान -राष्ट्र गौरव राजपूताना

डॉ मनोज कुमार सिंह

मुक्तक

वन्दे मातरम्!मित्रो!आज एक मुक्तक हाजिर है।

छेड़छाड़ मत करना,सुन इतिहासों से।
नहीं तो स्वागत होगा ,सदा तमाचों से।
जौहर की जज्बातों से,खेला गर तो,
पाँव नहीं थिरका,पाओगे नाचों से।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

मुक्तक

वन्दे मातरम्!मित्रो!आज एक मुक्तक हाजिर है।

उन्हें फर्क क्या,साईकिल या हाथी की सवारी।
शांतिदूत(?) रखते चुनाव में ,खुद अपनी तैयारी।
जिनके सभी अहिंसक (?)भक्तों को चुनाव में देखो,
जनता के अरमानों पर कैसे पड़ते हैं भारी।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

राष्ट्रभक्ति गीत

वन्दे मातरम्!मित्रो!आज गणतंत्र दिवस की 67 वीं वर्षगाँठ की पूर्व संध्या पर एक राष्ट्र भक्ति गीत के साथ आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ।

गजब की जवानी,गजब के दीवाने!
चले हैं बिना मूल्य गर्दन चढ़ाने।।
                  1
सतत् राष्ट्र आराधना में समर्पित।
सदा मातृभूमि की गरिमा से गर्वित।
सहज चेतना के सरलतम सिपाही,
सदा सरहदों को करें जो सुरक्षित।
करो मान सम्मान उनका हमेशा,
खड़े, दुश्मनों से, हमें जो बचाने।।
गजब की जवानी,गजब के दीवाने!
चले हैं बिना मूल्य गर्दन चढ़ाने।

                    2
पिला सबको अमृत,गरल खुद पिये जो।
सदा शिव बनकर,मनुज हित जिये जो।
खड़े बर्फ में ,घाटियों,जंगलों में,
हमारे लिए अपना जीवन दिये जो।
नमन हम करें उन शहीदों को निशदिन,
दिये जान अपनी किये बिन बहाने।।
गजब की जवानी,गजब के दीवाने!
चले हैं बिना मूल्य गर्दन चढ़ाने।।

                    3
तिरंगा की गंगा में निशदिन नहाए।
सदा क्रांति का गीत सबको सुनाए।
लिए भावना सद् लड़े आँधियों से,
वतन की जमीं प्राण देकर बचाए।
उसी भक्ति की शक्ति से आज हम भी,
पाए है जीवन के लमहे सुहाने।।
गजब की जवानी,गजब के दीवाने!
चले हैं बिना मूल्य गर्दन चढ़ाने।

डॉ मनोज कुमार सिंह

Monday, March 27, 2017

राष्ट्र भक्ति गीत


वन्दे मातरम्!मित्रो!आज गणतंत्र दिवस की 67 वीं वर्षगाँठ की पूर्व संध्या पर एक राष्ट्र भक्ति गीत के साथ आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ और बधाइयाँ।

गजब की जवानी,गजब के दीवाने!
चले हैं बिना मूल्य गर्दन चढ़ाने।।
                  1
सतत् राष्ट्र आराधना में समर्पित।
सदा मातृभूमि की गरिमा से गर्वित।
सहज चेतना के सरलतम सिपाही,
सदा सरहदों को करें जो सुरक्षित।
करो मान सम्मान उनका हमेशा,
खड़े, दुश्मनों से, हमें जो बचाने।।
गजब की जवानी,गजब के दीवाने!
चले हैं बिना मूल्य गर्दन चढ़ाने।

                    2
पिला सबको अमृत,गरल खुद पिये जो।
सदा शिव बनकर,मनुज हित जिये जो।
खड़े बर्फ में ,घाटियों,जंगलों में,
हमारे लिए अपना जीवन दिये जो।
नमन हम करें उन शहीदों को निशदिन,
दिये जान अपनी किये बिन बहाने।।
गजब की जवानी,गजब के दीवाने!
चले हैं बिना मूल्य गर्दन चढ़ाने।।

                    3
तिरंगा की गंगा में निशदिन नहाए।
सदा क्रांति का गीत सबको सुनाए।
लिए भावना सद् लड़े आँधियों से,
वतन की जमीं प्राण देकर बचाए।
उसी भक्ति की शक्ति से आज हम भी,
पाए है जीवन के लमहे सुहाने।।
गजब की जवानी,गजब के दीवाने!
चले हैं बिना मूल्य गर्दन चढ़ाने।

डॉ मनोज कुमार सिंह

दो दोहे-

वन्दे मातरम्!मित्रो!दो दोहे हाजिर हैं। आपकी प्रतिक्रिया सादर अपेक्षित है।

जिसके पास न शब्द हैं,उचित न कोई तर्क।
कुंठाओं से ग्रस्त हो,करते सदा कुतर्क।।

शब्द हमारी अस्मिता,यहीं सत्य अस्तित्व।
उचित शब्द रचते सदा,जीवन के व्यक्तित्व।।

डॉ मनोज कुमार सिंह