Saturday, August 1, 2015

मुक्तक

वन्दे मातरम्!मित्रो!आज मित्रता दिवस पर एक मुक्तक उन तथाकथित मित्रों के नाम जो मित्रता को बदनाम करते  हैं। आपका स्नेह अपेक्षित है-

चिपके हैं कुछ तो मित्र, यहाँ मैल की तरह।
कुछ स्वार्थ में सटे हैं,बस रखैल की तरह।
समझा था जिसे ,प्रेम व सद्ज्ञान की प्रतिमूर्ति,
निकला वो आचरण से ,महज बैल की तरह।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

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