Wednesday, August 26, 2015

मुक्तक

वन्दे भारतमातरम्!मित्रो!आज एक समसामयिक मुक्तक आप सभी को समर्पित कर रहा हूँ। स्नेह अपेक्षित है।

समतामूलक जीवन का अधिकार चाहिए।
हर मुफलिस को भोजन औ घर बार चाहिए।
अगड़ा,पिछड़ा,दलित, सियासत बहुत हो चुकी,
आरक्षण अब नहीं,यहाँ रोजगार चाहिए।

डॉ मनोज कुमार सिंह

Tuesday, August 25, 2015

मुक्तक

वन्दे भारतमातरम्! मित्रो!आज एक समसामयिक मुक्तक आपको समर्पित है। स्नेह अपेक्षित है।

अरे,ना'पाक दहशतगर्द!तेरा काल हीं होगा।
नहीं सम्हले तो समझो,अब ये अंतिम साल हीं होगा।
मिटेगी हाथ से जिसके,तेरे आतंक की लंका,
सुनो!माँ भारती का लाल, वो 'डोभाल' हीं होगा।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

कविता(माँ मोम है)

वन्दे भारतमातरम्!मित्रो!आज एक छोटी सी कविता आपको समर्पित कर रहा हूँ। स्नेह दीजिएगा।

माँ मोम है
पिता उसमें पिरोया
जलता हुआ धागा है
जिसके ताप से
पिघलती रहती है माँ
और
जिसकी रोशनी में
बच्चे पढ़ते रहते हैं
पिघलने और जलने का
स्निग्ध व्याकरण पल-पल।
साथ ही
तय करते रहते हैं
अपनी जिंदगी की दिशा ।

डॉ मनोज कुमार सिंह

Saturday, August 1, 2015

मुक्तक

वन्दे मातरम्!मित्रो!आज मित्रता दिवस पर एक मुक्तक उन तथाकथित मित्रों के नाम जो मित्रता को बदनाम करते  हैं। आपका स्नेह अपेक्षित है-

चिपके हैं कुछ तो मित्र, यहाँ मैल की तरह।
कुछ स्वार्थ में सटे हैं,बस रखैल की तरह।
समझा था जिसे ,प्रेम व सद्ज्ञान की प्रतिमूर्ति,
निकला वो आचरण से ,महज बैल की तरह।।

डॉ मनोज कुमार सिंह

मुक्तक

वन्दे भारतमातरम्। मित्रो!गुरदासपुर में शहीद बलजीत सिंह जी को समर्पित मुक्तक। नमन!!

हृदय में भाव बनकर,जिस तरह से गीत आते है।
मुहब्बत की जमीं पे ख्वाब में मनमीत आते है।
वतन की आबरू जब-जब ,यहाँ खतरे में होती है,
धरा की कोंख से रक्षार्थ फिर बलजीत आते हैं।।

डॉ मनोज कुमार सिंह